Monday, 4 January 2016

India’s One Of Best Tourist Place – Goa History In Hindi ( गोवा इतिहास एवम् परिचय )


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India’s One Of Best Tourist Place – Goa History ( गोवा इतिहास एवम् परिचय )

केरल के एकदम पश्चिम दिशा में समुद्र में स्थित यह द्वीप लक्षद्वीप पुकारा जाता है। जिसकी राजधानी कवरती है। यहां की जनसंख्या 2001 13,43,998 है। क्षेत्रफल 37,02 वर्ग किलोमीटर तािा जनसंख्या घनत्व 363 वर्ग किलोमीटर है।
गोवा में सामान्यतः गुजराती, कोंकणी, मराठी, पुर्तगाली व अंग्रेजी भाषाएं बोली जाती है। यहां जून से अक्टूबर तक मानसून का मौसम रहता है।
विशिष्टि ऐतिहासिक जानकारी
ईसा पूर्व तीसरी सदी में मौर्य साम्राज्य काल से गोवा का इतिहास ज्ञात होता है। उस सदी में कोंकण क्षेत्र में सातवाहन राजवंश के शासक कृष्ण शातकर्णी का शासन था। गोवा का पुरातन नाम गायक पट्टण अथवा गोम्नत था। गोवा सन् 1471 से बहमनी शासकों के नियंत्रण में था किन्तु 1489 में बीजापुर के शासक आदिलशाह ने इस पर अधिकार कर लिया ।
पुर्तगाल के साहसी शासक अल्बुकर्क ने 25 नवम्बर 1510 में आदिलशाह से गोवा को छीन  लिया और उसी दिन सेन्ट कैथरीन को सौंप दिया ।
यहां सतारी के राने लोगों ने सन् 1755 से 1824 तक चैदह बार विद्रोह किया था जिसे पुर्तगालियों ने हर दफा कुचल दिया। 1826 ई में गोवा के निवासी लुईस फ्रांसिस्कों ने प्रथम बार पूर्ण स्वाधीनता का स्वर बुलन्द किया। 18 जून 1946 को आजादी का आंदोलन एक खास दौर में जा पहुंचा। सन् 1954 में यह आंदोलन तब पहली सफलता पा सका, जब दमन के निकट दादरा व नागर हवेली मुक्त करा ली ािी।
मांडवी नदी के किनारे पर उपस्थित शहर पणजी गोवा जी राजधानी है। पणजी में बीजापुर के नवाब का पुराना महल भी है।
एक मोहक और विख्यात पर्यटन केन्द्र डोनापाला बीच भी यहां पर है। गोवा की राजधानी पणजी से केवल 18 किलोमीटर दूर अजुना बीच स्थित हैं अंजुनाबीच चपोरा किले के बहुत निकट है। यहीं निकट ही अपने आकर्षक गुम्बदों के लिये विख्यात अल्बु कर्क महल है। यह सन् 1920 में निर्मित किया गया था।
उतरी गोवा में आरामबोल बीच स्थित है। दक्षिण गोवा का एक बीच बेतुल बीच भी प्रसिद्ध है। इसकी यह ख्याति उसकी लंबाई और दोनों तरफ पसरे पाम वृक्षों के कारण है। मडगांव में बेतुल बीच का फासला 20 किलोमीटर है।
पणजी से 28 किलोमीटर दूर पर पटनेम स्थित है। जहां श्री भगवती मंदिर बना है। यह 500 वर्ष पुराना है। गोवा का सबसे सुंदर श्रीमंगेश मंदिर करीब चार सौ वर्ष प्राचीन है।
बाम जीसस चर्च 16वीं सदी में निर्मित किया गया था। गोवा का सबसे पुराना गिरजाघर चर्च आॅफ अवर लेडी आॅफ रोजरी है। सन् 1590 में पुर्तगाली अलफांसो डि अल्बुकर्क के गोवा आने के समय के विवरण इस गिरजाघर में आज तक सहेजे गये है।
मडगांव सैंतीस किलोमीटर की दूरी पर अगोंडा बीच शांतिप्रिय पर्यटकों के मध्य एक पसंदीदा बीच है। पणजी से मात्र तीन किलोमीटर के फासले पर मीरामार बीच है। इसे गोल्डन बीच नाम से भी पुकारा जाता है।
75 वर्षों में बनकर तैयार हुआ कैथेड्रल चर्च पुराने गोवा में बना है। बामजीसस चर्च के पास स्थित इस चर्च का निर्माण 450 साल पहले किया गया था। यहां स्थित स्वर्ण रंग घंअी गोवा की बड़ी घंटियों में मानी जाती है। इस समेत इस चर्च में पांच सुन्दर घंटियां हैं।
अन्य दर्शनीय स्थल –
वन्य जीव अभ्यारण्य (बोंडला), अगोडा का किला, मेयम झील, केसरवाल प्रताप, दूधसागर प्रताप व गोवा संग्रहालय भी यहां के आकर्षण में शामिल है।
राजस्थान की प्रमुख झीलें



राजस्थान में मीठे पानी और खारे पानी की दो प्रकार की झीलें हैं। खारे पानी की झीलों से नमक तैयार किया जाता है। मीठे पानी की झीलों का पानी पीने एंव सिंचाई के काम में आता है।
मीठे पानी की झीले -
राजस्थान में मीठे पानी की झीलों में जयसमन्द, राजसमन्द, पिछोला, आनासागर, फाईसागर, पुष्कर, सिलसेढ, नक्की, बालसमन्द, कोलायत, फतहसागर व उदयसागर आदि प्रमुख है।

१) जयसमन्द - यह मीठे पानी की सबसे बड़ी झील है। यह उदयपुर जिले में स्थित है तथा इसका निर्माण राजा जयसिंह ने १६८५-१६९१ ई० में गोमती नदी पर बाँध बनाकर करवाया था। यह बाँध ३७५ मीटर लंबा और ३५ मीटर ऊँचा है। यह झील लगभग १५ किलोमीटर लंबी और ८ किलोमीटर चौड़ी है। यह उदयपुर से ५१ किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसमें करीब ८ टापू हैं जिसमें भील एंव मीणा जाति के लोग रहते हैं।
इस झील से श्यामपुर तथा भाट नहरे बनाई गई हैं। इन नहरों की लंबाई क्रमश: ३२४ किलोमीटर और १२५ किलोमीटर है।
इस झील में स्थित बड़े टापू का नाम 'बाबा का भागड़ा' और छोटे टापू का नाम 'प्यारी' है। इस झील में ६ कलात्मक छतरियाँ एंव प्रसाद बने हुए हैं जो बहुत ही सुन्दर हैं। झील पहाड़ियों से घिरी है। शांत एंव मनोरम वातावरण में इस झील का प्राकृतिक सौंदर्य मनोहरी है जो पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है।

२) राजसमन्द - यह उदयपुर से ६४ किलोमीटर दूर कांकरौली स्टेशन के पास स्थित है। यह ६.५ किलोमीटर लंबी और ३ किलोमीटर चौड़ी है। इस झील का निर्माण १६६२ ई० में उदयपुर के महाराणा राजसिंह के द्वारा कराया गया। इसका पानी पीने एंव सिचाई के काम आता है। इस झील का उत्तरी भाग नौ चौकी के नाम से विख्यात है जहां संगमरमर की २५ शिला लेखों पर मेंवाड़ का इतिहास संस्कृत भाषा में अंकित है।

३) पिछोला झील - यह उदयपुर की सबसे प्रसिद्ध और सुन्दरतम् झील है। इसके बीच में स्थित दो टापूओं पर जगमंदिर और जगनिवास दो सुन्दर महल बने हैं। इन महलों का प्रतिबिंब झील में पड़ता है। इस झील का निर्माण राणा लाखा के शासन काल में एक बंजारे ने १४वीं शताब्दी के अंत में करवाया था। बाद में
इसे उदय सिंह ने इसे ठीक करवाया। यह झील लगभग ७ किलोमीटर चौड़ी है।

४) आनासागर झील - ११३७ ई० में इस झील का निर्माण अजमेर के जमींदार आना जी के द्वारा कराया गया। यह अजमेर में स्थित है। यह दो पहाड़ियों के बीच में बनाई गई है तथा इसकी परिधि १२ किलोमीटर है। जहाँगीर ने यहाँ एक दौलत बाग बनवाया तथा शाहजहाँ के शासन काल में यहां एक बारादरी का निर्माण हुआ। पूर्णमासी की रात को चांदनी में यह झील एक सुंदर दृश्य उपस्थित करती है।

५) नक्की झील - यह एक प्राकृतिक झील है तथा यह माउंट आबू में स्थित है। यह झील लगभग ३५ मीटर गहरी है। यह झील का कुल क्षेत्रफल ९ वर्ग किलोमीटर है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण पर्यटकों का मुख्य केन्द्र है।

६) फाई सागर - यह भी एक प्राकृतिक झील है और अजमेर में स्थित है। इसका पानी आना सागर में भेज दिया जाता है क्योंकि इसमें वर्ष भर पानी रहता है।
७) 
पुष्कर झील - यह अजमेर से ११ किलोमीटर दूर पुष्कर में स्थित हैं। इस झील के तीनों ओर पहाड़ियाँ है तथा इसमें सालों भर पानी भरा रहता है। वर्षा ॠतु में यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अत्यंत मनोहारी एंव आकर्षक लगता है। झील के चारों ओर स्नान घाट बने है। यहां ब्रह्माजी का मंदिर है। यह हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यहां हर साल मेला लगता है।

८) सिलीसेढ़ झील - यह एक प्राकृतिक झील है तथा यह झील दिल्ली-जयपुर मार्ग पर अलवर से १२ किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। यह झील सुंदर है तथा पर्यटन का मुख्य स्थल है।

९) बालसमन्द झील - यह झील जोधपुर के उत्तर में स्थित है तथा इसका पानी पीने के काम में आता है।

१०) कोलायत झील - यह झील कोलायत में स्थित है जो बीकानेर से ४८ किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यहां कपिल मुनि का आश्रम है तथा हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन मेला लगता है।

११) फतह सागर - यह पिछोला झील से १.५ किलोमीटर दूर है। इसका निर्माण राणा फतह सिंह ने कराया था। यह पिछोला झील से निकली हुई एक नहर द्वारा मिली है।

१२) उदय सागर - यह उदयपुर से १३ किलोमीटर दूर स्थित है। इस झील का निर्माण उदयसिंह ने कराया था।

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खारे पानी की झील
१) साँभर झील - यह राजस्थान की सबसे बड़ी झील है। इसका अपवाह क्षेत्र ५०० वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह झील दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर लगभग ३२ किलोमीटर लंबी तथा ३ से १२ किलोमीटर तक चौड़ी है। ग्रीष्मकाल में वाष्पीकरण की तीव्र दर से होने के कारण इसका आकार बहुत कम रह जाता है। इस झील में प्रतिवर्ग किलोमीटर ६०,००० टन नमक होने का अनुमान है। इसका क्षेत्रफल १४५ वर्ग किलोमीटर है। इसके पानी से नमक बनाया जाता है। यहां सोड़ियम सल्फेट संयंत्र स्थापित किया गया है जिससे ५० टन सोड़ियम सल्फेट प्रतिदिन बनाया जाता है। यह झील जयपुर और नागौर जिले की सीमा पर स्थित है तथा यह जयपुर की फुलेरा तहसील में पड़ता है।

२) डीड़वाना झील - यह खारी झील नागौर जिले के डीड़वाना नगर के समीप स्थित है। यह ४ किलोमीटर लंबी है तथा इससे भी नमक तैयार किया जाता है। डीड़वाना नगर से ८ किलोमीटर दूर पर सोड़ियम सल्फेट का यंत्र लगाया गया है। इस झील में उत्पादित नमक का प्रयोग बीकानेर तथा जोधपुर जिलों में किया जाता है।

३) पंचभद्रा झील - बाड़मेर जिले में पंचभद्रा नगर के निकट यह झील स्थित है। यह लगभग २५ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर स्थित है। यह झील वर्षा के जलपर निर्भर नही है बल्कि नियतवाही जल श्रोतों से इसे पर्याप्त खारा जल मिलता रहता है। इसी जल से नमक तैयार किया जाता है जिसमें ९८ प्रतिशत तक सोड़ियम क्लोराइड़ की मात्रा है।

४) लूणकरण सागर - यह बीकानेर जिले के उत्तर-पूर्व में लगभग ८० किलोमीटर दूर स्थित है। इसके पानी में लवणीयता की कमी है अत: बहुत थोड़ी मात्रा में नमक बनाया जाता है। यह झील ६ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है।
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जिलानुसार राजस्थान की झीलें

जिला झीलें/बांध
अजमेर - आना सागर, फाई सागर, पुष्कर, नारायण सागर बांध
अलवर - राजसमन्द, सिलीसेढ़
बाँसवाड़ा - बजाज सागर बांध, कहाणा बांध
भरतपुर - शाही बांध, बारेण बांध, बन्ध बरेठा बांध
भीलबाड़ा - सरेपी बांध, उन्मेद सागर, मांड़लीस, बखड़ बांध, खाड़ी बांध, जैतपुर बांध
बीकानेर - गजनेर, अनुप सागर, सूर सागर, कोलायतजी
बूंदी - नवलखाँ झील
चित्तौड़गढ़ - भूपाल सागर, राणा प्रताप सागर
चुरु - छापरताल
धौलपुर - तालाबशाही
डूंगरपुर - गौरव सागर
जयपुर - गलता, रामगढ़ बांध, छापरवाड़ा
जैसलमेर - धारसी सागर, गढ़ीसर, अमर सागर, बुझ झील
जोधपुर - बीसलपुर बांध, बालसमन्द, प्रताप सागर, उम्मेद सागर, कायलाना, तख्त सागर, पिचियाक बांध
कोटा - जवाहर सागर बांध, कोटा बांध
पाली - हेमा बास बांध, जवाई बांध, बांकली, सरदार समन्द
सिरोही - नक्की झील (आबू पर्वत)
उदयपुर - जयसमन्द, राजसमन्द, उदयसागर, फतेह सागर, स्वरुप सागर और पिछोला।

Sunday, 3 January 2016

चित्तौड़गढ़


चित्तौड़गढ़ शहर राजस्थान में स्थित है जो लगभग 700 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और अपने शानदार किलों, मंदिरों, दुर्ग और महलों के लिए जाना जाता है।
चित्तौड़गढ़ तस्वीरें, राणा कुंभा पैलेस, पैलेस
Image source: commons.wikime

पौराणिक कथाओं में चित्तौड़ग
इस शहर के योद्धाओं की वीरता की कहानियों को भारत के इतिहास में सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। एक लोककथा के अनुसार हिंदू महाकाव्य के एक महत्वपूर्ण चरित्र और पांडवों में से एक, भीम ने एक साधु से अमरत्व का रहस्य जानने के लिए इस स्थान की यात्रा की थी। हालांकि वह अपनी अधीरता के कारण अपने प्रयास में सफल नहीं हो सका। उसने कुंठा और क्रोध में जमीन पर पैर पटका जिसके कारण इस स्थान पर एक जलाशय बना जो भीम लात के नाम से जाना जाता है।

चित्तौड़गढ़ और उसके आसपास

इस शहर का प्रमुख आकर्षण चित्तौड़गढ़ किला है, जो 180 मीटर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। इस किले में कई स्मारक है जिनमें से प्रत्येक के निर्माण के पीछे कुछ कहानी है। महाराणा फ़तेह सिंह द्वारा बनवाया गया फतेह प्रकाश महल एक सुंदर ऐतिहासिक स्थान है। महल के अंदर आपको भगवान गणेश की एक सुंदर मूर्ति, बड़ा फ़व्वारा और सुंदर भित्ति चित्र मिलेंगे जो विगत युग की कला को दर्शाते हैं। इसके अलावा यहाँ इस क्षेत्र में अनेक धार्मिक केंद्र हैं जैसे सांवरियाजी मंदिर, तुलजा भवानी मंदिर, जोगिनिया माता जी मंदिर और मत्री कुंडिया मंदिर।
प्रकृति का पूर्ण रूप से आनंद उठाने के लिए पर्यटक बस्सी वन्य जीवन अभ्यारण्य का भ्रमण कर सकते हैं जो 50 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके अलावा सीतामाता अभ्यारण्य और भैन्स्रोगढ़ वन्य जीवन अभ्यारण्य भी अपनी जीवों और वनस्पतियों के लिए पर्यटकों में लोकप्रिय हैं। वे पर्यटक जो इस शहर के बारे में और इसकी संस्कृति के बारे में अधिक जानना चाहते हैं वे पुरातत्व संग्रहालय (आरर्कियोलॉजिकल म्यूज़ियम) का भ्रमण कर सकते हैं जहाँ सुंदर मूर्तियाँ, दुर्लभ चित्र मूर्तियाँ और प्राचीन काल के भित्ति चित्र देखे जा सकते हैं। संग्रहालय में पाई जाने वाली कुछ मूर्तियाँ गुप्त और मौर्य राजवंशों से जुड़ी हुई हैं।
यदि समय अनुमति दे तो पर्यटक बीजापुर में स्थित एक पुराने किले का भ्रमण कर सकते हैं जिसे अब एक होटल में परिवर्तित कर दिया गया है। प्रतापगढ़ के पास स्थित 16 वीं शताब्दी का देवगढ़ किला भी एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।यह स्थान अनेक मंदिरों और महलों के लिए जाना जाता है।
मेनल एक छोटा सा शहर है जो चित्तौड़गढ़ से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अपने परिदृश्य और मंदिरों की वास्तुकला के कारण यह स्थान “मिनी खजुराहो” के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान पर खुदाई के बाद कई बौद्ध मंदिर मिले जिमें से 12 वीं शताब्दी का मंदिर प्रमुख है। अपने सुंदर दृश्यों के कारण यह स्थान एक प्रमुख पिकनिक स्थल बन गया है।
इसके अल्वा पर्यटक गायमुख कुंड के भ्रमण की योजना भी बना सकते हैं जिसका आकार इसके नाम के अनुसार गाय के मुख के समान है। इस जलाशय के पास रानी बिंदर टनल है जो शहर का प्रमुख आकर्षण भी है।

चित्तौड़गढ़ पहुँचना

चित्तौड़गढ़ का निकटतम हवाई अड्डा डबोक हवाई अड्डा है जिसे महाराणा प्रताप हवाई अड्डे के नाम से भी जाना जाता है, जो 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह हवाई अड्डा सभी प्रमुख भारतीय शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चित्तौड़गढ़ का रेलवे स्टेशन महत्वपूर्ण शहरों जैसे अजमेर, जयपुर, उदयपुर, कोटा और नई दिल्ली से जुड़ा हुआ है। इस शर तक रास्ते द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है और राज्य परिवहन और निजी बस दोनों प्रकार की सेवा यहाँ उपलब्ध है।

चित्तौड़गढ़ में मौसम

गर्मियों में इस स्थान का मौसम बहुत गर्म होता है और इस दौरान अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक जाता है। मानसून के दौरान रुक रुक कर होने वाली वर्षा के कारण हवा नम होती है। इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष औसत 60 सेमी. से 80 सेमी. तक वर्षा होती है। इस स्थान की यात्रा के लिए ठंड का मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है क्योंकि तापमान 11 डिग्री सेल्सियस और 28 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। 
राणा कुम्भ महल एक ऐतिहासिक स्मारक है जहाँ राजपूत राजा महाराणा कुम्भ ने अपना शाही जीवन बिताया। यह शानदार किला 15 वीं शताब्दी में बना और यह भारत की बेहतरीन संरचनाओं में से एक है। यह राजपूत वास्तुकला का प्रतीक है और पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है।
चित्तौड़गढ़ तस्वीरें, राणा कुंभा पैलेस, पैलेस
Image source:commons.wikimedia.
ऐसा माना जाता है कि इस स्थान में कई भूमिगत कोठियां हैं जहाँ रानी पद्मिनी ने अपने प्रान्त की महिलाओं के साथ जौहर (दुश्मन के द्वारा किये जाने वाले अपमान से अपने आप को बचाने के लिए किया जाने वाला मानद आत्मदाह) किया था। इस मंदिर के पास एक प्राचीन मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। इस महल के परिसर में प्रतिदिन पर्यटकों के लिए एक लाइट और ध्वनि का शो आयोजित किया जाता है